
इटवा कस्बे में यातायात नियमों के पालन को लेकर पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कानून का डंडा केवल गरीब बाइक सवारों पर चलता है, जबकि खुद पुलिस व सरकारी विभागों के वाहन नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाते नजर आते हैं।
पंकज चौबे सिद्धार्थनगर
कस्बे में पुलिस प्रशासन की कई गाड़ियाँ बिना PUC और बिना इंश्योरेंस के सड़कों पर दौड़ती दिखाई दे रही हैं
। जबकि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 साफ तौर पर कहता है कि
धारा 146: बिना बीमा कोई भी वाहन सड़क पर चलाना अपराध है,
धारा 190(2): बिना PUC वाहन चलाने पर दंड का प्रावधान है
ये नियम निजी, सरकारी और पुलिस—सभी वाहनों पर समान रूप से लागू होते हैं। इंश्योरेंस और PUC से किसी को कोई छूट नहीं है, चाहे वाहन पुलिस का ही क्यों न हो।
गरीब बाइक सवार निशाने पर, बाकी सब बेखौफ
स्थानीय लोगों का कहना है कि बाइक अगर पटरी पर खड़ी हो जाए तो तुरंत चालान कर दिया जाता है
लेकिन पुलिस खुद इटवा चौराहे पर गाड़ी खड़ी कर औरों की भी गाडी साथ खड़ी रहती है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं
चालान की कार्रवाई भी केवल बढ़नी रोड पर चुनिंदा लोगों तक सीमित रहती है
इन पर कार्रवाई क्यों नहीं?
कस्बावासियों ने कई सवाल उठाए हैं बिना नंबर प्लेट के चरपहिया वाहन, जो सरकारी विभागों में चल रहे हैं
काली फिल्म लगे वाहन,
बिना अनुमति चल रहे हूटर, ओवरलोड टेंपो और ट्रक इन पर आज तक सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
रखवाले ही अगर कानून तोड़ेंगे…
लोगों का कहना है कि या तो पुलिसकर्मी खुद अपनी नौकरी को लेकर भयभीत हैं, या फिर कार्रवाई का सबसे आसान तरीका गरीब और कमजोर वर्ग को परेशान करना बन गया है। कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई न होने के पीछे लेन-देन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
समान कानून, समान कार्रवाई की मांग
इटवा कस्बे की आम जनता की साफ मांग है कि अगर पुलिस, RTO की जिम्मेदारी खुद उठाई है तो अवैध तरीके से चल रहे हर वाहन पर समान रूप से चालान किया जाए।
लोगों का कहना है कि “पुलिस पहले अपना गिरेबान झांके, फिर दूसरों का चालान करे”, तभी कानून पर जनता का भरोसा बना रह सकता है।



